खोले रहस्यों का पर्दा
खोले रहस्यों का पर्दा
रहस्मयी है दुनिया, रहस्यमयी मानव काया।
जो जाना है इसको, उसने खुद को पाया।।
बड़े ही प्रतापी,शूरवीर धरा पर थे जन्मे।
शूलों के पथ भी बनाये जिन्होंने गहने।।
जाना था खुद को,पहचानी मन की शक्ति।
जगायी थी उनने, अपने अंतस की भक्ति।।
सफलता से वो लिख गए नई कहानी।
हमने भी सुनी थी,पुरखो की जुबानी।।
जब जब भटका मानव पथ से अपने।
दुख दर्द सताते,बन कर डरावने सपने।।
जो जो पहचानी,अपने अंतस की शक्ति।
रहस्य की हर गांठे भी तब ही खुलती।।
न आता फिर अवसाद,न सताता भय भी।
आत्मविश्वास की जो जागती है जो शक्ति।।
चलो फिर खोलो अब रहस्यों की परतें।
चलो खोलनी है अब हर शक्ति की गांठे।।
यही तो योग,ध्यान हम सबको सिखाता।
भटका मन फिर एकाग्रता का द्वार पाता।।
संघर्ष पथ फिर बनाते नूतन कहानी।
पदचिन्ह सजाते वो ही वीर सैनानी।।