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Vinay Panda

Abstract

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Vinay Panda

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ख़तरा

ख़तरा

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संभल जाओ

मन को बरज लो अपने

ख़ुद को समझा लो ऐ दिल !

अब वह तेरी नहीं है।


माथ पर देख उसके लाल भाल

बना एक खतरे का निशान !

रोक ले अपनें कदमो को तू

मत बन प्यार में अंधा हैवान।


अब वो तेरी नहीं बन चुकी

दूसरे की पहचान है

मत खेल अस्मिता से उसके

वह भी नेक दिल इन्सान है ।


माना कि तुम थे उसके दिल में

प्यार का मसीहा बनकर

तुम मजनू मत बन अब

उसकी इज्ज़त को लाँघकर।


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