खेल
खेल
जब मैंने खेलना शुरू किया।
दर्शको की भीड़ बढने लगी।।
धीरे धीरे ख्वाब बढने लगे।
सोचा की मन्जिल मिल गई।।
दोस्तों की उम्मीदें मुझ से थी।
सोच रहे थे मैं स्टार बनूंगा।।
फिर उम्मीद पर पानी फिर गया ।
जब मैं वापस अपने घर आ गया ।।
जिन्दगी फिर करवटों में बदली ।
पूरा ग्राउन्ड सूना सा पड गया।।
दोस्तों ने मेडेल तो ले लिया।
पर मेरी कमी उन्हें बहुत खली।।
फिर एक दिन वो भी बिखरे।
कोच भी रह गये अकेले। ।
यही है मेरे जिन्दगी की पहेली।
किशमत अर्श से फर्श हो चली।।
अब ख्वाब मेरे सपने बन गये।
हम भी आंधीयो में उड गये। ।
पर अभी दोस्तों की दुआएं हैं।
इसलिए अभी हम जिन्दा हैं।।
क्या पता अब किशमत कहा ले जायेगी।
पर मेरे दोस्तों तुम सबकी याद बहुत आयेगी।।
ऐसा नही है की मैं बिखर गया हूँ।
बस किशमत से थोड़ा रूठ गया हूँ।
किशमत रहेगी तो एक नया नाम बनाऊंगा।
मेरे प्यारे दोस्त मेरे यार दिल छोटा न कर।
मैं फिर नये रूप में स्टार बन कर आऊंगा।