खेल जिंदगी का
खेल जिंदगी का
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मेरी जिंदगी का खेल
ये हमारी परीक्षा लेने आता है
हमारे छिपे हुए धीरज को निहारने आता है
ये फ़ौलादी इरादों से टकराने आता है
जा के कह दो इसे, ना उलझे मुझसे
मुझे आदत है, मुसीबतों के बादल में टहलने की
सुख और दुःख के बारिश में भीगने की
भारी कंधे को महसूस करने की
हरे जख्मों को सहते रहने की
तू लौट जा, अपनी गली में।