खबरों का मौसम
खबरों का मौसम
खबरों के मौसम में
अजीब सी बेचैनी है
अजीब सी अनिश्चितता है
अजीब सा भय है
केंद्र में है कॅरोना
एक वायरस।
वायरस की लहर से
सहमा सहमा इंसान
चलो अकेले ही
कॅरोना को हराते हैं
जीने का अंदाज बदलते हैं
यूँ ही दूर दूर रहते हुये
आपस में बात करते हैं
एक दूसरे के काम आते हैं
जीवन की जरूरतों को
और सीमित करते हैं।
जरूरत थी हमारे होने की
और हमने अपने को भीड़ में
बदल दिया था
धन्यबाद दें कॅरोना को
उसने हमें हमारे होने का
सन्देश दिया है
और हम अकेले ही
उसके ही दिये हुये सन्देश के
हथियार के साथ
जीने का नया निजाम
बना सकते हैं।
खबरों का मौसम
बदल सकते हैं।
