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Ervivek kumar Maurya

Romance

3  

Ervivek kumar Maurya

Romance

कहाँ खो गए हो तुम

कहाँ खो गए हो तुम

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कहाँ खो गए हो तुम

मेरी सुध लेते नहीं

क्या जुदा हो गए हो तुम

जो बात करते नहीं

बिन तेरे मेरा पल गुजरता नहीं

क्यों ऐसे हो गए हो तुम

जो मुझसे प्यार करते नहीं

मुझसे तू रूबरू है रही

मेरी आँखों की नमीं से वाकिफ़ हो तुम

क्यों जमाने में अकेला किया

लगता है मुझसे दूर हो गए हो तुम

जाने अनजाने में छोड़ा क्यों

लग रहा है मेरी कद्र करते नहीं

कहाँ खो ..............

मैं तेरी कहानी हूँ लिखता

तेरी जवानी को हूँ पढ़ता

लिखने को अपने को बंद क्यों है किया

लगता है श्वेत स्याही से बन गए हो तुम

लिख दिये हैं फिर भी कई गीत तुझपे

शायद उनको कभी पढ़ते नहीं

कहाँ खो गए..........

मुझे जब वो समझ लें बेहतरी से

तब मेरे होने का आगाज कर दें

मैं उन्हें चाहूँगा बेहतरी से

हम चाहेंगे एक प्यार का अंजाम दें

क्यों वो घबराते हैं इश्क की राहों में

कुछ होने नहीं दूँगा ,क्यों मेरे साथ चलते नहीं

कहाँ खो गए...........


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