कहाँ हूँ मैं
कहाँ हूँ मैं
पति को जल्दी जाना है, क्लाइंट मीटिंग है
बच्चों के स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग है,
सासु जी का मंथली चैकअप कराना है,
ससुर जी के चश्मे का नंबर बदलवाना है।
मम्मी की तबीयत मालूम करनी है,
पापा की केस फाइल स्टडी करनी है,
भैया को बर्थडे विश करना है,
बहन के बच्चों को कॉग्रेच्यूलेट करना है।
इन सब के बीच कहाँ हूँ "मैं"
मैं और मेरा व्यक्तित्व......
कहीं खो गया है!!!
अपने लिए वक्त का टोटा हो गया है
आज जब देखती हूँ आईने में...
पुरानी तस्वीर ढूँढती हूँ !!
कहाँ गई???
वो अल्हड़ता.... वो चंचलता.....
वक्त ने चेहरे पर भी ला दी है गंभीरता
पर......
ध्यान से देखती हूँ तो पाती हूँ
चेहरे पर सुकून भी ।
कुछ कर पाने का........
अपने लिए ना सही, अपने परिवार के लिए ही सही
और आंखों में दिखता है अपना आने वाला कल.....
अपने बच्चों के स्वप्नों में........
