कभी सोचती हूँ - क्या सोचती हूँ, कभी सोचती हूँ - क्यों सोचती हूँ... कभी सोचती हूँ - क्या सोचती हूँ, कभी सोचती हूँ - क्यों सोचती हूँ...
या बदलते हालात का असर है शायद ही जान पाओ या बदलते हालात का असर है शायद ही जान पाओ
अपने लिए वक्त का टोटा हो गया है आज जब देखती हूँ आईने में... पुरानी तस्वीर ढूँढती हूँ अपने लिए वक्त का टोटा हो गया है आज जब देखती हूँ आईने में... पुरानी तस्वीर...
यूँ चाहा था समझना नारी की सहज प्रकृति को यूँ चाहा था समझना नारी की सहज प्रकृति को
परीक्षाओं की शुचिता की भी अब कहीं कोई रही नहीं गारंटी परीक्षाओं की शुचिता की भी अब कहीं कोई रही नहीं गारंटी