नारी
नारी
चाहा जानना उसकी चपलता को
उसकी गंभीरता को
उसकी स्थिरता को
चाहा जानना उसकी सुन्दरता को
उसकी सुघड़ता को
उसकी कमनीयता को
यूँ चाहा था समझना
नारी की सहज प्रकृति को
पर सचमुच क्या कभी
समझ पाऊँगा
ईश्वर की इस अद्भुत कृति को ?
चाहा जानना उसकी चपलता को
उसकी गंभीरता को
उसकी स्थिरता को
चाहा जानना उसकी सुन्दरता को
उसकी सुघड़ता को
उसकी कमनीयता को
यूँ चाहा था समझना
नारी की सहज प्रकृति को
पर सचमुच क्या कभी
समझ पाऊँगा
ईश्वर की इस अद्भुत कृति को ?