खामोशी
खामोशी
सारे समंदर जो शराब होते, तो मयकशी आसान होती।
सारे ख्वाब सच होते ,तो ख्वाहिशें परवान होती।
एक दूसरे को देखकर राज ए दिल जो जानते लोग।
हरेक रिश्ते में फिर, बेवफाई ना सरेआम होती।
फितरत में खामोशी थी, तभी तो घर आबाद है।
उजड़ जाता आशियाना, मुंह में गर जबान होती।
करते रहो मनोज नेकी, बदले में चाहे बदी मिले
नेकनीयत के बिना ना, जिन्दगी में शान होती।