खामोशी
खामोशी
खामोशी मेरी
अगर तुम पढ़ लेते
तो शायद
मैं कभी खामोश ही ना होती,
अपनी बात
जो कह ना पाई
अपनी खामोशी
मन ही मन में बसाई ,
यह खामोश रहना
नहीं था इतना आसान
मुझे था .....
बस यही इंतजार
शायद ......
तुम पढ़ लो मेरी खामोशी !~
खामोशी मेरी
अगर तुम पढ़ लेते
तो शायद
मैं कभी खामोश ही ना होती,
अपनी बात
जो कह ना पाई
अपनी खामोशी
मन ही मन में बसाई ,
यह खामोश रहना
नहीं था इतना आसान
मुझे था .....
बस यही इंतजार
शायद ......
तुम पढ़ लो मेरी खामोशी !~