खामोश त्याग ( एक मर्द का )
खामोश त्याग ( एक मर्द का )
जीवन की चक्की के,
दो पाटों में
यह हर दम पिसते रहते हैं,
अपनों की जरूरतें
पूरी करने के लिए,
दिन रात ये जूते घिसते रहते हैं,
फिर भी इनके त्याग की
यह दुनिया,
कद्रदान नहीं होती,
सच कहूं तो ,
इस दुनिया में ,
मर्दों की जिंदगी भी
कुछ आसान नहीं होती।
