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Akanksha Gupta

Abstract

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Akanksha Gupta

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कह रही हूँ बहुत कुछ

कह रही हूँ बहुत कुछ

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कह रही हूँ बहुत कुछ

मगर तुमसे नहीं खुद से


नहीं डाल रही मैं व्यवधान

तुम्हारी तन्हाई में अब


चल पड़ी हूँ मैं भी अब

एक तन्हा रास्ते पर


अकेले ही लेकिन अब

कह रही हूँ बहुत कुछ

मगर तुमसे नहीं खुद से।


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