आओ बाँटें कुछ पल खुशी के
आओ बाँटें कुछ पल खुशी के
क्या कभी भूख से रोते हुए बच्चे को हँसाया तुमने;
या कभी किसी बेसहारा के आँसुओं की
वजह का पता लगाया तुमने ?
क्या कभी किसी अंधेरे घर में
रोशनी का एक छोटा दीपक बने हो तुम;
या पूछा किसी बीमार से
"ओ काका अब कैसे हो तुम ?
क्या पूछा तुमने उस झोपड़ी में बैठी
एक माँ और उसके चार बच्चों से;
कुछ खाया तुमने या आज फिर सो जाओगे भूखे ?
क्या पूछा तुमने कभी उस औरत से
जो लिए बैठी है चेहरे पर डर;
कुछ पैसों की वजह से
कहीं अस्पताल की दहलीज पर
दम न तोड़ दे उसका शौहर !
पढने की उम्र में जो दिन-रात मजदूरी करता है;
क्या कभी ऐसे बच्चे को सीने से लगाया तुमने ?
क्या अपनी भाग दौड़ की जिन्दगी से
दो मिनट निकालकर;
ट्रेफिक से गुजर रहे एक नबीना को
रास्ता पार कराया तुमने ?
क्या कभी सड़क के किनारे बैठी
एक बूढी अम्मा से जामुन खरीद कर;
उसके परेशान चेहरे पर मुस्कुराहट को सजाया तुमने ?
क्या अपने माँ-बाप के साथ
कुछ वक्त कीमती बिताया तुमने;
या फिर सालों पहले रूठे हुए एक दोस्त को
फोन पर साॅरी बोलकर मनाया तुमने ?
क्या कभी ईद, क्रिस्मस और दिवाली पर;
अपने गरीब पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया तुमने ?
निकालकर दिलों से हिन्दु- मुसलमां की नफरत को;
क्या कभी मोहब्बत का परचम लहराया तुमने ?