कदम
कदम
हर दिन एक नया तोह्फा
हर सुबह में नई शुरुआत
हर दोपहर एक नई चुनौती
हर शाम कुछ नया कर जाने के नाम
एक छोटा कदम ले जाए नए सफर की ओर
बस आज एक कदम, छोटी सी पहल
हर क्षण है मौका आगे बढ़ने का,
मत गंवा एक भी खूबसूरत पल।
हर वक़्त है सही वक्त
बस तू घर से निकल जा
तूफानी रातों में बस आगे तू बढ़ जा,
ख्वाब देखे रातों में,
अब खुली आँखों से पूरा कर जा
मिल जाएगी मंज़िल भी
पहले नए किरदार में तो ढल जा
बीता उसे भुला, नए अंदाज़ में बदल जा
बाल गोपाल लेते हैं नन्हे नन्हे कदम
लड़खड़ाते, गिरते संभलते हैं
मगर नहीं छोड़ते कोशिश
सोते जागते उठते बैठते बस एक ही मुहिम
चलते रहते हैं नन्हें पैर
जब तक न पा लें संतुलन
बस हौसला और कोशिश
और बिना रूके चलते रहने का साहस
बस इतना ही फासला है आम से खास होने में।
