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Manjula Pandey

Tragedy

3  

Manjula Pandey

Tragedy

कड़ुआ सच्

कड़ुआ सच्

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सुबूक जिंदगी की

शब तख्ल होती हैं।

खौफनाक तारिक और

सोचें भुक्त वास्तविक।।


दिन सुनहरी मायाजाल

नकली चेहरे कर्ज लिए।

बनावटी खुशी साथ लिए,

फिरते हैं यहां सहरो-शाम।।


भयभीत है राजा हर पल 

अपने नाम-मान को लेकर।

रंक को सताती है पीड़ा 

रोजी-रोटी की हर पल।।


भाग रहा है हर इंसान ना जाने

कौन -सी दौड़ में हो शामिल।

दिल में है घनघोर अंधेरा और

चेहरे में है बनावटी हंसी यहां 

हर किसी के आज शामिल।।


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