कबीर
कबीर
कबीरा खड़ा
बाजार मे माँगे
सबकी खैर ।
नही किसी
से दोस्ती नही
किसी से बैर ।।
मतलब के
सब यार है ।
बिना मीत
चाहत नही
ये आज का
ये संसार है ।
कलयुग की
बलियारी है ।
पैसों की
मारामारी है ।
पैसो के
सब रिश्ते है ।
आपस मे
लड़ते झगड़ते है ।
बाप भला न भैया
सबसे बड़ा रूपैया ।
आपस मे
पहचान नही है ।
दीन धर्म करम
ईमान नही है ।
इन्सानो का
जन्म लिया है।
इन्सानो का
काम नही है ।
कह गये
दास कबीर है
क्या सच्चा कोई
इन्सान नही है ।