कभी ये ना समझना
कभी ये ना समझना
कभी ये ना समझना तू मेरे साथ नहीं,
मेरे रोम रोम पर तेरा नाम है,
आईने में जब खुद को देखते है,
तेरी मुस्कुराती सूरत नजर आती है,
जब भी अपने कदमों की आहट से थम
जाते है,
पीछे मुड़कर जो देखते है अपनी ही
परछाई में तेरा रूप नजर आता है,
चाँद के चेहरे में तेरी हंसती मुस्कुराती
छवि दिखाई देती है,
कभी चले थे हम दोनों साथ साथ हाथों में
हाथ लिए हुए,
वो हसीन पल वो ज़माना लौट के आएगा,
तेरे मेरे मिलन का वो ज़माना जल्द आएगा,
ये ख्वाबों में हमने देखा है,
मिला आशीर्वाद मुझे रब का और
बिछड़े हुए अपनो का,
भरोसा हमको हमसे ज्यादा तुमसे
ज्यादा रब पर है ।
अपना मिलन तो होगा ही इस का गवाह ये
पूरा जग बनेगा ।

