कभी तुम मेरा इंतज़ार
कभी तुम मेरा इंतज़ार
कभी तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह....
जब तुम न जग पाओ और नींद भी न हो
जब मेरे आने की उम्मीद भी न हो
जब मुझसे बात करने के लिए छटपटाओ तुम
और फिर उस बात का कुछ कर न पाओ तुम
तब तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह....
जब मेरे किसी फैसले पर तुम्हारी उंगलियां उठें
जब गुस्से की तुम्हारे मन में बिजलियाँ उठें
जब अपने ही आंसुओ से धुल जाओ तुम
जब कहने को मैं न मिलूं, और अंदर ही अंदर घुल जाओ तुम
तब तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह....
जब वादा कर के जाऊं कि कुछ बदलेगा नहीं
जब तुमको समझ में आये कि वो लौटेगा नहीं
जब मैं कहूँ कि मेरी मजबूरी इस बार भी तुम ही समझो
जब मैं कहूँ मुझे अब काम है ये प्यार भी तुम ही समझो
तब तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह....
जब तुम चाहते हुए भी अपने हलक़ में अपनी चीखें घोल नहीं पाओ
जब तुम सारी बातें सिर्फ लिख पाओ, उसे बोल नहीं पाओ
जब तुम न खाओ , न पीयो , जिस्म जब साथ छोड़ने लगे
जब मेरी ख्वाहिश तुम्हारी रगों की हर बूंद निचोड़ने लगे
तब भी...तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह....
जब तुम्हारी एक गलती हर पल हर दिन दिल तोड़े तुम्हारा
जब एक दिन मेरे साथ जीने की तमन्ना साथ न छोड़े तुम्हारा
जब मैं अपनी ज़िंदगी में किसी और को तुमसे बड़ा कर दूं
जब मैं तुम्हें सब समझने के लिए छोड़ दूं, खुद को जुदा कर दूं
तब भी....तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह....
इसके बाद भी मैं तुम्हारी परेशानी कुछ न समझूँ
जब तुम कुछ भी बताओ और मैं सच न समझूँ
जब मुझे कोई खुशी मिले तो तुम्हारी एक न सोचूं
जब कोई फैसला लूँ तो तुमसे एक न पूंछू
इसके बाद भी....तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह
मेरा इंतज़ार इस तरह करना
कि तुम्हारा खुद का खुद में कुछ बचे नहीं
दिल तुम्हारा साथ न दे दिमाग तुम्हारा सुने नहीं
तुम इस बारे में किसी से कुछ कह न पाओ
जब तुम सब चीज़ हँस के सहो मगर सह न पाओ
इस कदर कि तुम्हारा दर्द शोर करने लगे
तुम्हारी घुटन इक आवाज़ हर ओर करने लगे
मगर फिर भी मैं कहूँ कि अपनी नहीं मेरी मजबूरियां समझो
और तुम्हारी शराफ़त तुमको सर झुकाकर सिर्फ इंतज़ार करने को कहे....
उस समय कहीं लिख लेना कि कैसा लगता है,
अकेले अकेले प्यार करना, अकेले अकेले इंतज़ार करना,
जो तुम भी जानती होगी कि कभी खत्म नहीं होगा....
मगर फिर भी....तुम मेरा इंतज़ार करना इस तरह
एक बार इस तरह इंतज़ार करके हिसाब बराबर कर लेना....
तब तक ये इंतज़ार तुमपर उधार रहा।