कौन चला है पग - पग सदा एक साथ
कौन चला है पग - पग सदा एक साथ
माना मैंने वक़्त नहीं मेरा कोई ख़ास
कहां रहता है सदा एक सा अहसास
था तू कभी मेरे हर पल में बड़े पास
क्यों छूट गई मेरी ऐसी सभी आस
तुझको जो थी मुझसे अच्छे की तलाश
क्या इसलिये तूने किया हमको हताश
पागल है वो जो जताते किसी में विश्वास
कौन चला है पग - पग सदा एक साथ
हवा धूल उड़ाती ऊँचे गगन - आकाश
छितराती धूल इतराकर बनाये मजाक
कहती हवा को चाहे उड़ा कण - कण को
ना रहने देना इन्हें कभी एक दूसरे के पास
वाष्प कणों से मिलकर करूंगी धरा का साथ
अलग - अलग सफ़र से हमनें पाया है कुछ ख़ास
सिखाना है मैंने हवा - धूल की बात से ये जज्बात
कौन चला है पग - पग सदा एक साथ
चेहरा बदलकर नये रूप में रूह आयेगी
फिर से अपना बना तुझको ये हंसायेगी
गरज बादल सा खुशियां बरसायेगी
नैनों में अपने तुझको ये बसायेगी
रूठ कर ना जाने कब रुलायेगी
आँख - मिचौली के खेल में कैसे
सता तुझे ये अकेला छोड़ जायेगी
कौन चला है पग - पग सदा एक साथ ये सत्य बतायेगी।