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VIVEK ROUSHAN

Tragedy

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VIVEK ROUSHAN

Tragedy

कैसी अपनी मजबूरी है

कैसी अपनी मजबूरी है

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कैसी अपनी  मजबूरी है

जीना भी कितना मुहाल है


मेरे  लोग  दर्द   में  जी  रहें 

कैसी  अपनी  ये  बदहाली  है 

गुलशन  के  फूल  सब टूट  रहें 

न  कोई  माली  है न सवाली है


कैसी अपनी मजबूरी  है 

जीना भी कितना मुहाल है


मेरे  देश  के  बच्चे  मर  रहें 

संसद में  कितनी  खुशहाली है 

जिन  माँ  के  बच्चे  मर  गए 

उन  माँ  की  कोख  खाली  है


कैसी अपनी  मजबूरी है 

जीना भी कितना मुहाल है


सोने से भरी है नेताओं की थाली 

गरीबों के पास खाली थाली  है 

भविष्य  देश  का  खतरे  में  है 

खतरे में हर एक फूल की डाली है


कैसी अपनी  मजबूरी है 

जीना भी कितना मुहाल है



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