"कैसे-कैसे दुराचारी"
"कैसे-कैसे दुराचारी"
कैसे-कैसे हो गये हैं,दुष्ट दुराचारी
मासूम फूल पर चला दी,कुल्हाड़ी
खुदा क्या इनको माफ कर देगा?
जो हुए है,नर पिशाच बलात्कारी
इनकी आंखों में न कोई शर्म है,
भीतर रखी है,जहर बुझी कटारी
सांप तो बेचारे एक बार डसते है,
समाज को डसे बार-बार दुराचारी
शस्त्र उठाओ,काट दो गर्दन को
चलाओ आप इन पर तलवारी
जुर्म किया है,इन्होंने बड़ा भारी
मिटा दी इन्होंने मानवता सारी
ज़रा दुष्कर्मी पर रहम न करो
नीच नराधम को सजा दो भारी
खौलते तेल की डाल दो भीतर,
बाल्टियां की बाल्टियां कई सारी
जो देखे बहिन,बेटी बुरी नजर से
आँख में डालो गर्म सलाखें अंगारी
कैसे-कैसे हो गये है,दुष्ट दुराचारी
मासूम फूल पर चला दी,कुल्हाड़ी
मिटा दो उन दुष्टों की खुमारी
जिनके हृदय है,बड़े व्याभिचारी
बना दो कुछ ऐसा कानून भारी
दुष्कर्मी की छीन ले,सांसे सारी
उनके लिये करो,फांसी तैयारी
जिन्हें यहां,दुष्कर्म की बीमारी
अगर इन्हें जिंदा छोड़ दिया न,
उजाड़ देंगे,कई फूलों की क्यारी
नारियों को शस्त्रों की शिक्षा दो
बताओ इन्हें लक्ष्मीबाई क्रांतिकारी
बताओ मां दुर्गा,काली जानकारी
कैसे मिटायें मां ने दैत्य,आतातायी
चूड़ियां भले ही पहन,तू नारी
याद रख तू कमजोर नही,नारी
रण-चंडी है,करती सिंह सवारी
वक्त आने पर चलाती,तलवारी
शुंभ,निशुम्भ,रक्तबीज महिषासुर,
आदि राक्षस मिटाये कई अहंकारी
कैसे भी हो,आज दुष्ट-दुराचारी
गर ठाने,कर दे छुट्टी सबकी नारी
जी भी दैत्य आज,मनु रूप धरे
पहचान कर,मिटा दो निशाचारी
कोई न बचे नर पिशाच हाहाकारी
मिटा दो,आज की रात अंधियारी
कोई छुए क्या,सोचे तो जले जाये
बनाओ अपनी पुत्री ऐसी चिंगारी
नारी तू बिल्कुल कमजोर नही है
तू जननी है,नारी तू है,प्रलयंकारी।