कैसे बयां करूं अपनी बात
कैसे बयां करूं अपनी बात
आसान नहीं है मुझे मेरी बात बयां करना,
हर बार कुछ कहने जाता हूं पर
पहले तुम कुछ कह देती हो ,
हमेशा मेरी बात अधूरी रह जाती है,
इस बात में कुछ छुपा हुआ है राज,
आज एक कसम खाई है मैंने,
अपने छुपे हुए उस राज को बता कर
रहूँगा तुझे,
दूसरे दिन अपने राज की बात मैंने तुम्हें बता दी,
वह राज की बात को मेरे दिल की बात है,
जो एक अपने नए अंदाज़ में मैंने तुम्हें कह दी,
मैंने अपने घुटनों के बल पर बैठकर,
तुमसे अपने दिल की बात ,
मैंने कहा तुमसे," तुम मुझसे प्यार करती हो क्या?
तुम मेरे साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताओगी,
मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूंगा,
मैं तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूँगा,
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान से पता चलता है कि
तुम्हारी भी हां है और तुम भी बोलती हो कि हां,
पर जब मैं सुबह उठा तो ,
मुझे पता चला कि अरे पागल मैं,
तो यह सपना देख रहा था,
क्या पता यह सपना हकीक़त में बदल जाए,
इस सपने को बदलने में ज्यादा वक्त ना लगा,
उसी रात मेरा सपना यह पूरा हो गया,
जैसे मैंने देखा था ,
वही सपना उसी अंदाज़ में हुआ पूरा,
मैं बहुत खुशकिस्मत हूं,
कि मुझे वह लड़की सपने से असल जिंदगी में मिली,
इस मोहब्बत को कुछ नाम देना है मुश्किल,
पर यह कुछ अलग ही अंदाज़ की मोहब्बत है.