STORYMIRROR

Rushabh Bhatnagar

Abstract

2  

Rushabh Bhatnagar

Abstract

मेरी डायरी

मेरी डायरी

1 min
2.9K

1 दिन मैं घर की साफ सफाई कर रहा था,

सब कचरा बाहर फेंकने ही जा रहा था,

उसी वक्त कुछ हाथ ऐसा लगा,

जो बहुत पुराना और कुछ यादों से जुड़ा हुआ था,

उस डायरी का बटन खोला और डायरी को खोला,

तो बहुत सारी तस्वीरें और उसमें से और पन्ने खुले ,

बहुत सारे किस्से निकले।

वह कॉलेज की कैंटीन की बातें,

वह कॉलेज की क्लासरूम वाली बातें,

सारी बातें जब पढ़ते पढ़ते ही,

उन दिनों में याद आ गई।

पूरा कॉलेज यह कैसा था ,

यह दोस्त नहीं यह तो एक दूसरे से प्यार करते हैं,

पर हम तो सिर्फ अच्छे दोस्त हैं,

वह पहले सेमेस्टर से लेकर आखरी सेमेस्टर तक की सारी बातें,

इस डायरी के सारे पन्नों पर ,

एक खत जो तुम्हें देना रह गया था ,

आज तुम्हें फोटो खींचकर फेसबुक पर टैग करती हूं,

इतने में जब अपने मोबाइल की स्क्रीन पर फेसबुक खोलकर,

जब तुम्हारा नाम सर्च करती हूं,

तुम्हारे फोटो के नीचे क्या लिखा हुआ आता है

और मैं क्या देखकर हैरान हो जाती हूँ

आई मिस यू यार !

आई लव यू यार !

बहुत याद आ रही है !

वापस आजा विष्णु !

आई लव यू आई !मिस यू !

तुम बहुत याद आते हो ,

विष्णु तुम बहुत याद आते हो विष्णु!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract