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sargam Bhatt

Drama Action

3  

sargam Bhatt

Drama Action

कैदखाना

कैदखाना

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खोल दो यह कैदखाना,

 क्या मैं इंसान नहीं।

बंद रहूं इस पिंजरे में,

 क्या मेरा कोई स्वाभिमान नहीं।

आजाद कर दो मुझे यहां से,

 क्या मेरा कोई सम्मान नहीं।

मैं नाम करूंगी रोशन सबका,

क्या मुझ पर विश्वास नहीं।

मुझको ना तुम समझो अबला,

मैं दुर्गा रूपी नारी हूं।

मुझे सुरक्षा की जरूरत नहीं,

मैं अकेली ही हैवानों पर भारी हूं।

तोड़ दो इस बेड़ियों को,

क्या मैं किस्मत की मारी हूं।

कोई तो समझो मुझे,

मैं भी सबकी जिम्मेदारी हूं।



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