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Meenakshi Gandhi

Inspirational

5.0  

Meenakshi Gandhi

Inspirational

कैद पंछी

कैद पंछी

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पिंजरे में बैठा

वो पंछी

जाना चाहे

मगर जाए कहाँ

छूना चाहे

वो भी नभ

पर समझने वाला

कौन वहाँ

कभी बैठे

किस्मत को कोसे

कभी फड़फड़ाते

परों को रोके

चार दीवारी में

फँसा वो सोचे -

कैसा होगा ये

ख़ूबसूरत जहाँ ??

मन में भरी

चाहे कितनी निराशा

फिर जगाये हुए

एक आशा

किसी पल

उसे रास्ता मिल जाएगा

तब वो भी

अपनी आज़ादी के

जश्न मनाएगा

दिल भरेगा

हौसलों की

ऐसी उड़ान

और

पा लेगा वो ये

खूबसूरत जहान ।।


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