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सोनी गुप्ता

Abstract Comedy

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सोनी गुप्ता

Abstract Comedy

काव्य उत्सव

काव्य उत्सव

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पिछले दिनों, 

गली में काव्य उत्सव मनाया गया, 

सभी गली वालों को बुलाया गया, 

भेजी गई सभी को निमंत्रण पत्रावली, 

साथ में प्रतियोगिता की नियमावली, 


लिखा था, 

जिनके पास व्यक्तिगत उपलब्धियाँ हैं, 

जिनको मिला कोई स्वर्ण पदक है, 

आ जाए अपना हुनर दिखाने, 

ये तो काव्य प्रतियोगिता है, 


आगे लिखा था, 

जीत गए तो स्वर्ण पदक पाओगे, 

और हार गए तो जूते चप्पल खाओगे, 

कुछ नहीं तो 2 जोड़ी चप्पल ही ले जाओगे, 

जल्दी ही काव्य प्रतियोगिता में आओ, 

और अपना नाम लिखवाओ, 


तब क्या था,

काव्य नियमावली गलियों में बटवा दी गई,

खाली फार्म लेकर प्रविष्टियां भरवा दी गई, 

काव्य प्रतियोगिता के लिए

संख्या बहुत बढ़ गई, 

पर अगले दिन ही, 

गली में एक बकरी मर गई, 


अब तो पूरे गली में, 

बकरी के ही चर्चे हैं ,

शोक मना रहे सभी ,

और उड़ रहे काव्य के पर्चे हैं, 

बकरी की अर्थी उठी ,

चारों और उदासी छाई है, 

अभी तक किसी को काव्य की सुध ना आई है,


चलो आखिर वह दिन आ ही गया, 

काव्य प्रतियोगिता जिस दिन हमने रखवाई है, 

मिस्टर भोला ,मिस्टर गोला जाने कौन कौन आया, 

इसके बाद आई कवियों की सवारी है, 


शुरू हुई प्रतियोगिता, 

पहले अशोक की बारी आई, 

अशोक की बीवी ,

अशोक को स्टेज पर देखकर जोर से चिल्लाई, 

बोली लाज रखना नाक ना काटना हमारी, 

घर आए खाली हाथ तो बेलन पड़ेगा भारी,


पहला काव्य, 

अशोक लोगों से ज्यादा ,

अपनी बीवी को देख घबराए, 

हार गए तो सोचा क्या होगा हाय हाय!! 

काव्य शुरू हुआ तो चप्पल पड़ गई हाय हाय, 

लौट के बुद्धू घर को आए, 


दूसरा काव्य, 

इसके बारे में क्या बताना, 

यह तो है चलता फिरता कविताओं का दीवाना, 

बोलते ही लगा मोती इसके झरने लगे, 

तालियों की गड़गड़ाहट से ,

हम तो संवरने लगे, 


चलो सफल तो हुआ कार्यक्रम,

पैसे कमाने की जो तरकीब हमने बनाई थी ,

काव्य प्रतियोगिता से वो काम हमारे आई है, 

कोई बात नहीं

बहुत से कवियों ने

यहाँ उनकी चप्पलें भी खाई है, 


रात्रि का समय ,

अब बज गए 12:00 घड़ी में, 

पर काव्य प्रतियोगिता का

सिलसिला चल ही रहा था, 

तभी बकरी आ गई स्टेज पर, 

हाँ भाई वही बकरी जो मर गई थी, 


कहाँ से आई ये बकरी, 

उड़ गए होश सभी के, 

निर्णय प्रक्रिया भी ना चल पाई, 

नोटों की माला बकरी को पहनाई, 

यहाँ तो पूरी स्थिति ही बदल गई, 

हमारी जगह बकरी मालामाल हो गई I



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