STORYMIRROR

dhara joshi

Tragedy

4  

dhara joshi

Tragedy

काश

काश

2 mins
325

आज जैसे ही नज़र कैलेंडर में पड़ी

आज की तारीख देखी भाई


वो

एक साल पहेली की मीठी यादों

की झलक सामने आने लगी


वो

खुशियों से भरा घऱ

वो


स्वागत क़े लिए बिछाएं फूल

याद है


वो

भाभी का पहेली बार घर में स्वागत

का दिन था

वो

३,४ दिन पहले से तेरा मुझे कहना

के तुझे आना ही है

इसके पास तुज़े रहेना ही है

तू आएगी तो इसे औऱ

ज़्यादा तो मुझे अच्छा लगेगा

बार बार मुझे बुलाकर तेरा पूछना

इसका मन तो यहाँ लग रहा हैं ना।

इसने अच्छे से खाया ना।

इसको सिर में दर्द तो नहीं हो रहा ना।

इसको कुछ चाहिए तो नहीं ना।


इसको कोई परेशानी तो नहीं हो रही ना।

जब कोई ना हो तब

इसके धुधंट को पिछे किया करना।

इसके साथ बात किया करना।

इसको ये घऱ अपना लगे

वैसे महसूस कराती रहेना।

भाभी कि हर एक छोटी से छोटी बातों का

तेरा इनके लिए का ध्यान रखना

याद है

फ़िर भाई

ऐसा क्या हुआ कि

अब वो दिन को हम अच्छी यादों की

लिस्ट में सेव नहीं रखना चाहतें।

काश भाई

तु थोड़ा इसे अच्छे से समझता

काश भाभी तुज़े अच्छे से समझा पाती

काश भाई

तुने इस दिन अपने गुस्से को

कंट्रोल किया होता।

रिश्ते में अपने इगो को साईड में रखा होता।

काश भाई 

तुने सब कुछ हो जाने के बाद

मुझसे बात शेर की वो पहले की होती।

काश भाई

मुझे डिवोर्स चाहिए इनके ये कहने पे

तुने पर मुझे तुज़से जुदा नहीं होना ये कहा होता

काश ज़ो हुआ वो ना हुआ होता।

तो आज के दिन को हम बड़े अच्छे से मना रहे होते।

काश।


இந்த உள்ளடக்கத்தை மதிப்பிடவும்
உள்நுழை

Similar hindi poem from Tragedy