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Manoj Kharayat

Drama Tragedy Fantasy

4.5  

Manoj Kharayat

Drama Tragedy Fantasy

काश

काश

1 min
251


काश मैं ज़िन्दगी फिर से जी पाता

कुछ या बहुत सी चीज़ों को कुछ या बहुत हद तक सुधार पाता


अब लगता है चलते-चलते बहुत दूर निकल आए

और वापस जाना अब शायद कभी मुमक़िन नहीं


सही कहते थे लोग की रेत और समय को मुट्ठी में पकड़ना मुमक़िन नहीं

जितना ज़्यादा ज़ोर लगाओ वो उतनी ही तेज़ी से बह चलेगा


सपनों का भॅवर अक्सर मुझे उस भूतकाल में खींच ले जाता है

पर मैं कुछ भी बदलने की कोशिश में अक्सर हार के आता हूँ 


तब लगता है मैं कल भी असमर्थ था और आज भी

कई बातें थी जो किसी को बतानी थी


कई किस्से थे जो किसी को सुनाने थे

कई लोग थे जिनसे आखरी मुलाक़ात ठीक से कर न पाए


और वो रुक्सत हो गए बिना बताये

बस उसी एक उम्मीद में की एक दिन ऐसा कुछ मुमक़िन हो पाए


और काश मैं ज़िन्दगी एक बार फिर से जी जाऊँ।


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