STORYMIRROR

Manoj Kharayat

Abstract Inspirational

3  

Manoj Kharayat

Abstract Inspirational

एक और नया साल

एक और नया साल

1 min
240

फिर एक नया साल चौखट पर दस्तक देने को है तैयार

अपने सपने यादों को समेट एक नए सफ़र को आ जाओ यार

एक साल से दूसरे साल पर जाना शायद उतना ही जटिल होता है

जितना की एक रेलगाड़ी से दूसरी रेलगाड़ी बदलना

जैसे सफ़र में सिर्फ रेलगाड़ी बदलती है मंज़िल वही

वैसे ही साल दर साल गुजरते है पर लक्ष्य नहीं

साल बदलते-बदलते बहुत दूर निकल आये

पर ना मंज़िल नज़र आई ना रास्ता 


कुछ ठहर कर सोचा की मेरी मंज़िल क्या है

सच यही है की मेरी मंज़िल क्या है मुझे नहीं पता

मैं क्या चाहता हूँ मुझे नहीं पता 

इसलिए बस सालों के सफ़र में भटकता जा रहा हूँ

और साल दर साल या यूँ कहो स्टेशनों में

रेलगाड़ी बदलता जा रहा हूँ

शायद एक दिन मुझे किसी स्टेशन पर

मेरी मंज़िल की रेलगाड़ी मिल जाएगी

और ये मेरे सालों के सफ़र को उसका लक्ष्य 

फिर मैं सही मायनों में कह सकूँगा नया साल मुबारक हो 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract