STORYMIRROR

Priyanka Saxena

Romance

4  

Priyanka Saxena

Romance

काश कुछ कहा होता...

काश कुछ कहा होता...

1 min
336

कैसा होता है

जब सोचा हुआ 

हो ना पाए!

यूं ही नहीं मिले हम

वो आए बाकायदा

ठहरी हुई सांझ तले

एक पल वो भी था

आमने-सामने थे हम,

निःशब्द हम थे,

मौन था पसरा हुआ,

कुछ बातें हुई

गैरजरूरी सी,

उनके जाने के बाद

चले हम भी राह अपनी,

कदम मखमली सा लगा,

पंखुड़ियां गुलाब की

बिछी वहां थीं

शायद लाए थे

वो गुलाब

पीछे मुड़े हाथों की 

बंदिशों से ढीली पड़

बिखर चुकी थीं वो 

पंखुड़ियां हाथों से भी

और दिल से भी!

काश कुछ कहा 

उन्होंने होता

तब वो नज़ारा

अलग ही होता!

गुलाब जमीं पर नहीं,

गेसुओं में हमारे 

शोभायमान होता!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance