Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4.5  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

काँच से रिश्ते

काँच से रिश्ते

1 min
488


क्यों रिश्तों को तुम हमेशा कांच सा समझते 

तोड़ देते दिल को खुदा से भी नहीं तुम डरते हो


तुम्हारी इसी बेरुखी ने हमें जाम में हमें डुबो दिया

जो दुनिया तुम्हारे संग बनाई थी हमने जाने वो कहाँ है


हम तो इस प्रीत नगर में अपना कर सब कुछ लुटा बैठे हैं

अब तो न हमें मंजिल नजर आती ना रास्ता नजर आता है


जाने कहाँ जाना है हमको सोच -सोचकर दिल घबराता है

अब ना तुम पूछों मेरी पीडा़एं मुझे जैसा है वैसा ही रहने दो


अपनी इन नशीली नजरों से पिलाई थी जो जाम तुमने हमें 

उसने हमें तुम्हारा बनाकर मदहोश - सा क्यों कर दिया


अब तो होश ही नहीं है हमें बेहोश-सा कर दिया है

और यहाँ छूट गया फूलों का वो दामन सारा

कांटो से अपना लगाव हो गया है


तुम तो हमें अकेला छोड़ अपनी राह चले गए

हम अभी वहीं खड़े बस राह निहारे तुम्हारी


मन में एक आस है तुम वापस आओगे फिर यहाँ

मिलोगे हमसे छोड़ गए थे तुम हमें जहाँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract