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Jitendra Vijayshri Pandey

Abstract

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Jitendra Vijayshri Pandey

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काला कोट और ख़ाकी वर्दी

काला कोट और ख़ाकी वर्दी

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एक और एक ग्यारह हमेशा ग्यारह ही नहीं होता,

हर बार ग़लत पुलिसवाला ही नहीं होता।

माना ताली एक हाथ से नहीं बजती बेशक़ पर

आज फिर साबित हुआ कि वकील

हमेशा न्याय का रक्षक ही नहीं होता।

एक और एक...


इंसाफ़ का तराजू कभी ऊपर-नीचे नहीं होता,

वकील बनने का तात्पर्य कभी तानाशाही नहीं होता।

लाख़ों दलीलें होंगी वकीलों के पास बेशक़ पर

वकील होने का तात्पर्य कभी न्याय की धज्जियां उड़ाना नहीं होता।

एक और एक...


काले कोट और ख़ाकी वर्दी का कभी मेल नहीं होता,

दोनों के कर्तव्यों पर कभी शक़ नहीं होता।

पर आज ये कैसी विडंबना है न्याय की क्योंकि

गाड़ी ग़लत पार्क करने का मतलब हिंसा नहीं होता।

एक और एक...


हक़ीक़त को हक़ीक़त से रूबरू कराना साथ देना नहीं होता,

क़ानून को अपने ही हाथों पर लेना भी तो सही नहीं होता।

आज़ाद भारत में इस दृश्य के अवलोकन से

हमेशा समाज से ही अहिंसा की उम्मीद रखना भी तो सही नहीं होता।

एक और एक...


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