काला जादू
काला जादू
काला जादू जो सिर चढ़कर बोले।
जादू तो जादू बस नैनों में ही डोले
लाल, हरा,पीला,नीला कोई भी रंग जाये
फिर काला, आंखो में अज्ञान ही चढ़ाये
उस तिमिराच्छादित में कुछ सूझ न पाये
आज हम नेत्र होते हुए भी देख न पायें
पश्चिम का जादू दिखता उनकी आँखों में
खोकर ही समझता,जीवन तो स्वजनों में
भाग रहे घर-द्वार मां-बाप को छोड़कर
अपनी संस्कृति भूल,सारे नाते तोड़कर
विचारों को कर मजबूत काले को तोड़
एकबार फिर से जीवनलय को दे मोड़।