STORYMIRROR

Anil Jaswal

Classics

4  

Anil Jaswal

Classics

काल ग्रस गया

काल ग्रस गया

1 min
412

सब खुश‌ थे,

चेहरे खिले थे,

सपने बुन रहे थे।

सबसे मिलेंगे,

हंसेंगे खेलेंगे।


अचानक काल ने आ घेरा,

तीन ट्रेनें आपस में भीड़ गई,

300 लोग निगल गई।

चारों ओर,

त्राहि त्राहि मच गई,

जिसने भी देखा सुना,

रूह कांप गई।


उपर वाले,

तूं ऐसा क्यों करता,

जिसको बनाता,

तो फिर क्यों डुबाता।

क्यों नहीं,

फलने फूलने देता,

हंसी खुशी रहने देता।


मैं तो इंसान हूं,

सिर्फ शिकायत कर सकता,

तुमसे लड़ नहीं सकता।


परंतु बेबसी देखो,

आज के युग में भी,

इतना बड़ा हादसा।

क्या टैक्नोलॉजी नहीं है,

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, म

शीन लर्निंग, नेटवर्किंग भी,

किसी काम की नहीं,

जो ऐसी भीषण तबाही मचा दी।


चलो फिर से,

कमेटी बनाएंगे,

तथ्यों की जांच करेंगे,

मर्तको को मुयाबजा मिल जाएगा,

मीडीया शांत हो जाएगा।

फिर सब भूल जाएंगे,

पुराने ढर्रे पर लौट आएंगे।


उस व्यक्ति का दर्द तकलीफ,

कौन महसूस कर सकता,

जो अंदर कट गया,

मर गया।

कैसे तड़पा होगा,

चिल्लाया भी होगा,

परंतु सुनने कौन आया होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics