काहे कईलू दिवाना
काहे कईलू दिवाना
बस गईलू सांस बनके
दिल के भितरिया
बेरी बेरी याद आवे
तोहरे सुरतिया ।।
रहलो न जाता जान
तोह बिन अकेला।
निक नाही लागे कुछ
मन ना लागेला।।
केकरा से कहीं हम
दिल के दरदिया।
काहे भूलईलू जान
हमरे पिरितिया।।
करही के रहे जब
हमसे बहाना।
जान जान कही के
काहे कईलू दिवाना।।

