जवाँ दिलों की कहानी
जवाँ दिलों की कहानी
है जवाँ दिलों की, यही कहानी,
थोड़ी सी आग और थोड़ा पानी!
कहीं काग़ज़ पे उभरे अल्फ़ाज़,
और कहीं पेड़ पे कोई निशानी!
कहीं तड़प है और कहीं मिलन,
कहीं उन्स है, और कहीं जलन!
कितना समझाया दिल को मगर,
कर जाता हरदम है नाफ़रमानी!
तसव्वुर में भी और ख्यालों में भी,
जवाबों में भी, और सवालों में भी!
अक़्स-ऐ-महबूब को देख-देख के,
है तवील रात, हमको तो बितानी!
कैसा रश्क़ है, और क्या है ख़ुशी,
महबूब बिना जहाँ, कुछ भी नहीं!
डूब जाओ इश्क़ में बन के "क़ैस",
कि दो पल की ही है ये ज़िंदगानी!