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parag mehta

Romance

5.0  

parag mehta

Romance

ज़ुबान का धोखा

ज़ुबान का धोखा

1 min
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 बस उस एक वादे की खातिर

खुशी से हार गया वो शातिर

बाजी वो पलट भी सकता था

पर फिर कैसे कहलाता वो फाखिर !


वो बात उस हवा में ही रह गई

सांस की आहट भी उसमें ही छिप गई

ज़रा सी ही तो चाह थी उसकी

वो भी बस एक दुआ में बदल गई !


ज़रूरत थी जब बयान करने की

अपने इश्क़ के एहसास कराने की

जज़्बात अपने बिखेरने की

अपने लफ़्ज़ों के पिटारे खुलाने की !


बस तब ये ज़ुबान धोखा दे गई

ज़रूरत थी तब यूं दगा दे गई

खिलाड़ी वैसे तो वो पुराना था

पर किसी और की शह उसे मात दे गई !


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