जनता जनार्दन का नाम फिर
जनता जनार्दन का नाम फिर
जनता जनार्दन का नाम फिर प्रजाजन हो
गण-मुखिए नेता अब महाराज कहे जाएँ।
मुर्गी के अण्डों को सब बोलें पंक्षी-फल
नन्दी विशाल नाम पायें अब सांड ठल्ल।
निर्मल जलयुक्त नदी बहे कल्ल सोचेंगे,
घाघरा के सोत किन्तु सरयु अब कहे जाएँ।
मंहगी हो शिक्षा औ दीक्षा परीक्षा सभी,
महँगे हों टोल-पोल बिजली कुछ और अभी।
हो युवक रोजगारदार या बेरोजगार,
कर-मुक्तित फिल्मों के प्रसारण सहे जाएँ।
छात्रों की कूटकाट माने अनुशासन हो
देशभक्ति भाषण ही माह का राशन हो।
शिक्षक उपस्थिति को प्रेरणा की एप रहे,
पेंशन सुधन शेयर घाटे में बहे जाएँ।
आतंकी पहचाने वेश और भूषा से
ईसा मुहम्मद किंवा नानक या मूसा से।
एएमयू जेएनयू जामिया जमीयत,
पाक-अफगानी आग में वतन दहे जाएँ।