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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

जंगल में एक शव

जंगल में एक शव

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जंगल में शव मिलने से बड़ी सनसनी थी 

लिबरल्स की भौंहें इससे बड़ी तनी तनी सी थी 

सभी न्यूज चैनल्स भांय भांय चिल्ला रहे थे 

कभी सरकार पर कभी सभ्यता पर गुर्रा रहे थे 

सारे अखबारों में यह घटना प्रथम पन्ने पर छपी थी 

सारे पर्यावरणविदों की सांस इस घटना से जमीं सी थी 

महज एक शव मिलने से जैसे भूचाल आ गया था 

धरने प्रदर्शन सभाओं से लोगों में उबाल आ गया था 

रोज सैकड़ों इंसानों के शव मिलते हैं , वे खबर नहीं बनते 

एक बाघ के शव की बराबरी सैकड़ों इंसानी शव नहीं करते 

किसी की लाश सूटकेस में पाई जाती है तब भी नहीं 

कोई बालिका झाड़ियों में सड़ी मिलती है तब भी नहीं 

न जाने कितने इंसान रोज ही मारे जा रहे हैं 

लेकिन वे अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पा रहे हैं 

आज इंसान की जान बहुत सस्ती है , यूं ही मर रहा है 

एक जानवर की जान ज्यादा कीमती है, ऐसा लग रहा है।


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