STORYMIRROR

Avneet kaur

Romance Tragedy Fantasy

3  

Avneet kaur

Romance Tragedy Fantasy

जनाज़ा

जनाज़ा

1 min
398

आँखों में आँसू लेकर उसी जगह खड़े हैं

एक बार आकर तो देख

मेरा जनाज़ा तो नहीं उठने वाला

उस काली रात की तन्हाई पूछती थी मुझसे

क्या तेरा महबूब नहीं आने वाला

इंतज़ार में रात की सुबह हो गई

मालूम चला कि मुझे दफनाने चले हैं

कमबख़्त तुझे इश्क़ इस कदर कर बैठे

कि इश्क़ में आज कुर्बान होने चले हैं

हाँ, ख्वाहिश थी तुझे पाने की

क्या करूँ, खुदा ने बुलावा भेज दिया

क्या एक मुलाकात ऐसी हो सकती है कि

मेरा महबूब ही हो मेरा जनाज़ा उठाने वाला


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance