जल-तरंग
जल-तरंग


जल तरंग से बजने लगे
जब से देखा है तुम्हें ,
पहली बारिश की निर्मल
बूंदों सी मनमोहक हँसी
तुम्हारी,
पेशानी पर बिखरे केश
दीवाना कर देतें है,
जब झटकते हो बेफिक्री से
तुम।
बरसात की तरह ही आ टपकते
हो मेरे सपनों में झम-झम कर
भींगती रहतीं हूँ मैं,
पल-पल तेरे अहसासों की बारिश
में।