STORYMIRROR

Kavi Rp

Romance

4  

Kavi Rp

Romance

जज्बात

जज्बात

1 min
249

लिख दूं जज़्बात कही किताबों में,

फिर कही भूल जाऊ ना लफ्ज़ वो सारे,


जिक्र हो रहा तेरा मेरे जज्बातों में,

बरस जाएं बनके बारीशों में वो सारे।


 हरा है मौसम इन वादियों का,

लेकिन ज़ख्म अभी भरा नहीं है।


बेचैन है दिल ख्वाहिशों का,

क्यों के इस दिल की कोई दवा नहीं है।


कहीं ये जज़्बात दिल में ही न रह जाए,

लिख दु वो जो तुझे हो एहसास मेरे।


लफ्ज़ निकले वो जो मेरा दिल कह जाए,

फसलों की जगह अब है कहा, तुझे रहना है पास मेरे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance