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Kavi Rp

Abstract

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Kavi Rp

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हिम्मत नहीं...

हिम्मत नहीं...

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मैं टूटा हुं, टूटा ही रहने दो,

फिर से जुड़कर, टूटने की हिम्मत नही...


मैं बिखरा हुं, बिखरा ही रहने दो,

फिर से समेट कर, बिखरने ही हिम्मत नही ...


मैं रूठा हुं, रूठा ही रहने दो,

फिर से मना कर, रूठने की हिम्मत नही...


मैं हारा हुं, हारा ही रहने दो, 

फिर से जीता कर, हारने की हिम्मत नही....


मैं भटका हुं, भटका ही रहने दो,

फिर से राह दिखाकर, भटकने की हिम्मत नही...


मैं गिरा हुं, गिरा ही रहने दो,

फिर से उठाकर, गिरने की हिम्मत मुझे में नहीं...


मैं भंवर में फंसा हुं, फंसा ही रहने दो,

फिर से सुलझा कर फंसने की हिम्मत नही...


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