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Kavi Rp

Abstract

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Kavi Rp

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लगता है

लगता है

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तुम को पाकर कुछ यूं लगता हैं,

जैसे हर ख्वाब मुकम्मल लगता है।


अब तक शहजादे हुआ करते थे कहानीयों में, 

मैंने खुदा का अक्स भी तुझमे ही देखा है।


अब तक सारे रंग, बैरंग लगते थे,

तुझ संग ये रंगीन अब जहां लगता है।


मेरे रास्ते, मंज़िल, ख्वाब भी तू है,

बस तुमसे तुम तक की दूरी अब तय करना हैं।  


तुमसा कोई नही होगा इस कायनात में,

ये प्यार मैंने प्यार से भी प्यारा देखा है।


तुझे खुदा मानु, या मानु उसका तोहफा,

तुझे मुझे देकर उसने बंदगी दे दी है।


सुना करता था कहानियां हीर रांझा की,

मुझे मेरी हीर तो इन सबसे न्यारी लगती है।


जानता हूँ माना ख़्वाब आसान नहीं देखा मैंने,

पर उसे पूरा करने का हौसला बुलंद देखा है।


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