STORYMIRROR

Zeetu Bagarty

Fantasy Inspirational Thriller

4  

Zeetu Bagarty

Fantasy Inspirational Thriller

जिस्म का भूखा.....

जिस्म का भूखा.....

2 mins
287

वो जिस्म का भूखा मोहब्बत के लिबास में मिला था, पहचानती कैसे उसे चेहरे पर चेहरा लगा कर मिला था,...

क्या पता था दर्द उम्र भर का देगा, वो

 दरिंदा बड़ा मासूम बन कर मिला था,

पहली मुलाकत में ही दिल में उतर गया था, कि वो मुझे पूरी तैयारी के साथ मिला था,

देखते ही देखते वो मेरा हमराज बन गया, हर दफा वो मुझे मेरा यकीन बन कर मिला था,

माँ बाप से छुप कर उसको मिलने लगी थी, वो मुझे मेरा इश्क बनकर जो मिला था,

हल्की सी मुस्कान लेकर वो मुझे छूता रहता था, वो हवसी मेरी हवस को जगाने की कोशिश करता था,

वक़्त के साथ उसके इश्क का नशा मेरे सिर चढ़ने लगा था, मेरा भी जिस्म उसके जिस्म से मिलने को तरसने लगा था,

इश्क के नशे में देख वो मुझे बेआबरू करने लगा था, वो जिस काम की तलाश में था, उसे वो करने लगा था

टूट पड़ा था वो मुझ पर, हवस में दर्द की सारी हद पार कर गया था, उस रात वो पहली बार मुझे मुखौटा उतारकर मिला था,

हवस मिटा कर अपनी, उसने मुझे जमीन पर गिराया था। दिल की रानी कहता था जो मुझे, उसने तवायफ कहकर बुलाया था

मोहब्बत थी ही नहीं उसे जिस्म को पाने का प्रपंच रचा था,

मेरे प्यार मेरी मासूमियत, के साथ उसने खेल खेला था

मुझे छोड़ फिर पता नहीं कहा चला गया था मोहब्बत की आड़ में शायद किसी ओर को तवायफ बनाने गया था

कितना वक़्त गुजर गया, ज़ख्म रूह के अब भी हरे हैं। सोचती हूं मोहब्बत के राह में क्यों इतने धोखे हैं, हर मोड़ पर क्यों खड़े जिस्मों के आशिक है,

खुद को, किसी को सोपने से पहले ज़रा सोच लेना...

कही वो शिकारी जिस्मों का तो नहीं तुम थोड़ी जांच कर लेना

अब कभी खुद को, कभी मोहब्बत को, तो कभी उसको कोसती हूं ऐ किस्मत मेरे साथ, तेरा क्या मिला था वो आखरी बार मुझे बिस्तर पर मिला था.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy