ज़िंदगी
ज़िंदगी
चर्चा जितनी करोगे,
उतनी कम लगती जायेंगी,
ज़िंदगी हैं, वो किस्सों को,
फ़िर बार बार दोहराएगी,
चलते हर एक कदमों पर,
वो पक्के निशान छोड़ जाएगी,
ज़िंदगी हैं, वो किस्सों को,
फ़िर बार बार दोहराएगी,
मिलने और बिछड़ने के सिलसिलो में,
वो ना जाने कितने दिल दुःखएगी,
ज़िंदगी हैं, वो किस्सों को,
फ़िर बार बार दोहराएगी।
