जिंदगी तुझसे
जिंदगी तुझसे
थक गया हूँ जिंदगी तुझसे
रुक गया हूँ जिंदगी तुझसे
अब न हंसता हूँ,न रोता हूँ,
टूट गया हूँ जिंदगी तुझसे
ख़्वाब तो पहले भी न थे,
जवाब तो पहले भी न थे,
प्रश्न से पहेली बन गया हूँ,
जिंदगी की घड़ी तुझसे
छूट गया हूँ जिंदगी तुझसे
रूठ गया हूँ जिंदगी तुझसे
फिर भी न हंसुगा,न रोऊंगा,
औऱ जिंदगी तुझे न ढोउँगा,
बनकर शूलों में गुलाब फूल,
खिल रहा हूँ,जिंदगी तुझसे
देखकर तेरे सब रिश्ते नाते,
जीना शुरू कर रहा हूं,फिर से
जिसमे होगा सिर्फ भाईचारा,
किसी बात का न होगा बंटवारा,
अब बना रहा हूँ,जिंदगी तुझे पत्थर,
ताकि तू न चुभोये मुझे कोई नश्तर,
बन रहा हूँ,शोले में शबनम हंस के
धरा से फलक बन रहा हूँ फिर से
किसी रिश्ते से विचलित न हो,
ऐसा चंदन बन रहा हूँ फिर से
जख़्म हो तो भी में हंस सकूँ,
दे ऐसा कलाम तू मुझे फिर से।