जिंदगी थी.....
जिंदगी थी.....
खुशियां थी, मस्तियाँ थी, सादगी थी
इस whatsapp, facebook से पहले ज़िन्दगी थी
पापा का फटकार था, मां का प्यार था
दादी का दुलार था, दादा का पुचकार था
पूरा परिवार साथ था।
नुमाइशें थी, सौगाते थी, बंदगी थी
मोबाइल नहीं था तो, ज़िन्दगी थी।
साथ में बैठकर गप्पे थी
खेल थे छुपा छुप्पी थी
Video game से पहले ज़िन्दगी थी।
सेहत थी, सब मस्तमौले थे
न सारी इतनी बीमारी!
न शारीरिक न दिमागी थी
इस जंजाल से पहले ज़िन्दगी थी।
फ़ोटो नहीं ,मुलाकातें थी
Video call नहीं, साथ बैठकर बातें थी
उस समय की बात कुछ और थी
जब चिंता नहीं चिंतन करते थे
जीवन के पग पग का मंथन करते थे
न था tv , न ही ये technology थी।
असल में इन सब के पहले ही ज़िन्दगी थी।।।।