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Alok Vishwakarma

Others

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Alok Vishwakarma

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अगर जिंदगी एक किताब होती...

अगर जिंदगी एक किताब होती...

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अगर जिन्दगी किताब होती

झांक लेते कोरे पन्नों को 

छोडने को कागजों पर अपने निशान

बस कागज की हम होते और

पन्नों में होते हमारे प्राण


परवाह न होती उतनी जितनी अभी है 

बस लिखते जाते खुद के सफर को

सजाते लम्हों से उन पन्नों को ..............

बस अगर जिंदगी किताब होती...............


पहले पन्ने में मां-पापा होते

बाकी में बस अपनी कहानी होती 

पढ़ लिया करते कभी उन पन्नों को

जिनमें याद पुरानो होती

बस पनाह देते उन ही यादों को

जिनकी खुशी रवानी होती


बस मैं होता और मेरी यादें और 

किताब ही जिन्दगानी होती।

कागज ही हमारा हमसफर होता

कागज ही अपनी कहानी होती

तिनके - तिनके से सजाते अपने सपनों को 

हमारा भविष्य हमारी ही कहानी होती 


सब होता मेरा लिखा हुआ

सब मेरी ही जुबानी होती 

काश! अगर जिन्दगी किताब होती तो,

समाज से परे एक अलग ही कहानी होती...........


          


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